कर्मवीर मेरा किसान || अशोक तिवारी

Indian Farmers | Proud of India
कर्मवीर मेरा किसान
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कर्मवीर के पथ पर चलकर अपना फर्ज निभाता है।
खुद भूखा प्यासा रहकर इस दुनिया की भूख मिटाता है।।
दिन -रात धूप -छाँव की परवाह किये बिना खेतो मे जुट जाता है।
पूरी लगन मेहनत से वह अपना फर्ज निभाता है।।
खुद भूखा प्यासा रहकर इस दुनिया की भूख मिटाता है।
सुख दुःख सर्दी गर्मी और बारिश की बिना किये परवाह खेतो में जुट जाता है।।
अपने खून पसीने से फसलो को लहलहाता हैं।
खुद भूखा प्यासा रहकर इस दुनिया की भूख मिटाता है।
बीज -खाद पानी की आश लिये दर -दर की ठोकर खाता है।
पुरी कोशिश करके ओ हम तक फसलो को पहुँचाता है।
खुद भूखा -प्यासा रहकर इस दुनिया की भूख मिटाता है।
अपना तन- मन- धन सब कुछ नैवछावर करने में तनिक भी नहीं घबराता है।
खुद भूखा प्यासा रहकर दुनिया की भूख मिटाता है।
कभी प्रकृति की मार कभी शासन -प्रशासन की मार को हंसते -हंसते सह जाता है तनिक भी नहीं घबराता है ।
खुद भूखा प्यासा रहकर इस दुनिया की भूख मिटाता है।
अपना कर्म -धर्म वह बखूबी निभाता है।
अनेको कठिनाइयों को हंसते -हंसते सह जाता है तनिक भी नहीं घबराता।
खुद भूखा प्यासा रहकर इस दुनिया की भूख मिटाता है।
जब वह असहाय हो जाता है।
कुछ भी आगे पीछे नजर नही आता है।
तो वह चुपचाप मौत को गले लगाता है।
तनिक भी नहीं घबराता है।
पर जीते जी कभी अपने फर्ज
से मुंह नहीं छुपाता है ।
खुद भूखा प्यासा रहकर इस दुनिया की भूख मिटाता है।
आज के किसान की मनोदशा
का वर्णन करने का प्रयास किया गया है उक्त पंक्तियों के माध्यम से।