हिंदी कविता : जीवन दो दिन का मेला है इसे क्यूँ बर्बाद करे .. | पडित अशोक तिवारी

ashok tiwari
जीवन दो दिन का मेला है इसे क्यूँ बर्बाद करे ….
……आओ मिलकर एक नयी शुरूआत
करे।
जो बीत गया वो बीत गया
उसे हम व्यर्थ मे क्यो याद करे
आओ मिलकर एक नयी शुरूआत करे
माना की कुछ लम्हे हमे बहुत याद आते है
कुछ खुशी दे जाते हैं कुछ बहुत दिल दुःखाते है,
पर हम उन सुख दुःख में उलझ कर क्यू अपना वर्तमान बेकार करे
आओ मिलकर एक नये जीवन की शुरुआत करे
जीवन घड़ी है, जीवन प्रकृति है, जीवन रितु है ,
जीवन कभी आग हैं कभी पानी है
जीवन नित नया बदलाव है,
उस से क्या डरना,
उस से तो हमे है हर पल लडना
यदि हम जीवन के हर मोड पर अडे रहेगे
और उससे लडते रहेगे
तो यकी मानो जीवन खुशी के सब द्वार खोल देगा,
यही सोचकर एक नई शुरुआत करे,
आओ मिलकर एक नई शुरुआत करे।
उक्त पंक्ति अशोक तिवारी
के द्वारा रचित की गई है